देश तोड़ने की साजिश रचने के आरोपी स्टेन स्वामी की मौत पर आखिर क्यों हो गई प्रियंका गांधी दुखी?

देश तोड़ने की साजिश रचने के आरोपी स्टेन स्वामी की मौत पर आखिर क्यों हो गई प्रियंका गांधी दुखी?
स्टेन स्वामी के निधन पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दुख जताया और भाजपा सरकार पर हमला बोला।

भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद स्वम को आदिवासी कार्यकर्ता बताने वाले स्टेन स्वामी का 5 जुलाई 2021,सोमवार को कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया।वे 84 साल के थे और पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे।ज्यादा तबियत खराब होने के कारण उन्हें 28 मई को होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया था।सोमवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट में उनकी जमानत पर याचिका की सुनवाई भी होनी थी।

प्रियंका गांधी,राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने जताया दुख

स्टेन स्वामी के निधन पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दुख जताया और भाजपा सरकार पर हमला बोला।

प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि,”फादर स्टेन स्वामी को विनम्र श्रद्धांजलि। कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक व्यक्ति जिसने जीवन भर गरीबो-आदिवासियों की सेवा की और मानव अधिकारों की आवाज बना,उन्हें मृत्यु की घड़ी में भी न्याय एवम मानव अधिकारों से वंचित रखा गया।”

राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर कहा कि ,”फादर स्टेन स्वामी के निधन पर हार्दिक संवेदना।वह न्याय और मानवता के पात्र थे।”
इसके अलावा सीताराम येचुरी,शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी सहित कई अन्य नेताओं ने भी दुख जताया। कांग्रेस,वामपन्थी दलों व संगठनो सहित कई अन्य सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्ताओ का मानना था कि स्टेन स्वामी पर लगाये गए आरोपी बेबुनियाद है और वे निर्दोष है।

 

क्या आरोप थे स्टेन स्वामी पर

स्टेन स्वामी भारत के संभवत सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे जिन पर आतंकवाद का आरोप लगाया गया था।जनवरी 2018 में महाराष्ट्र में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पिछले साल अक्टूबर में स्वामी को गिरफ्तार किया गया था।स्वामी को गिरफ्तार करने वाली जांच एजेंसी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने उनके माओवादियों से संबंध के आरोप भी लगाए थे।स्वामी पर UAPA एक्ट के तहत भी कई धाराएं लगाई गई थी।

एनआईए ने उनके ऊपर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का सदस्य होने व इसके फ्रंटल संगठन (पीपीएससी) के संयोजक होने का आरोप भी लगाया था एवम इसके लिए उनके पास से प्रचार सामग्री व साहित्य के साथ साथ कई अन्य साक्ष्य उपलब्ध होने का दावा भी किया था।इसके अलावा एनआईए ने उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने में भी संलिप्त होने का आरोप लगाया था। स्टेन स्वामी पर पत्थलगढ़ी आंदोलन में भी तनाव भड़काने का आरोप लगाया गया था एवम पुलिस ने स्वामी समेत 20 लोगो पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था।

 

कौन है स्टेन स्वामी

फादर स्टेन स्वामी का जन्म 26 अप्रैल 1937 को तमिलनाडु के त्रिची में हुआ था।उनके पिता किसान थे और माता गृहिणी थी।समाज शास्त्र से एमए करने के बाद उन्होंने बैंगलोर स्थित इंडियन सोशल इंस्टिट्यूट में काम किया और उसके बाद झारखंड आ गए।

झारखंड में उन्होंने शुरुआत में पादरी का काम किया और आदिवासी लोगो के अधिकारों की लड़ाई लड़ने का काम करने लगे परन्तु उनके विरोधी बताते है कि इस बहाने वे धर्मांतरण का काम भी कर रहे थे और आदिवासियों को ईसाई बनाने के अभियान में लगे हुए थे।झारखंड में ही उन्होंने बतौर मानवाधिकार कार्यकर्ता विस्थापन विरोधी जनविकास आंदोलन की स्थापना की।ये संगठन भी आदिवासियों और दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने का दावा करता है।
इसके अलावा स्टेन स्वामी नक्सलियों के भी समर्थक थे। स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का कैथोलिक सोसायटी सहित कई अन्य सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओ ने विरोध किया था।

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