मोहन भागवत ने हिन्दू मुस्लिम का डीएनए एक बताया तो भड़क गए ओवैसी

गाजियाबाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यक्रम में एक किताब का विमोचन करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे दोनों अलग अलग नही है,बल्कि एक है।सभी भारतीयों को डीएनए एक है।

गाजियाबाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक कार्यक्रम में डॉक्टर ख्वाजा इफ्तिखार अहमद द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘द मीटिंग्स ऑफ माइंड्स’ का विमोचन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा किया गया।इसी पुस्तक के विमोचन में भाषण देते हुए मोहन भागवत ने कई महत्वपूर्ण बातें कही गई।मोहन भागवत ने हिन्दू मुस्लिम एकता को भ्रामक करार देते हुए कहा कि हिन्दू मुस्लिम अलग अलग नही बल्कि एक ही है क्योंकि सभी भारतीयों का डीएनए एक ही है और यह बात विज्ञान द्वारा भी सिद्ध हो चुकी है।

जानिए मोहन भागवत के भाषण की प्रमुख बाते

आरएसएस प्रमुख ने अपने भाषण में कहा कि यह सिद्ध हो चुका है कि पिछले 40000 वर्षों से हम सभी भारतीय एक ही पूर्वजो के वंशज है।भारत में रहने वाले सभी लोगो का डीएनए एक समान है।हिन्दू और मुसलमान कोई अलग अलग समूह नही है एवम उनकी एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे तो पहले से ही एक है।पूजा के तरीके के आधार पर लोगो मे अंतर नही किया जा सकता है।अगर यह मानने लग जाये कि यह दोनो जुड़े हुए नही है तो ये दोनों ही शंकट में पड़ जाते है।

गाय एक पवित्र जानवर लेकिन लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व के खिलाफ

आरएसएस प्रमुख ने अपने भाषण में लिंचिंग पर बोलते हुए कहा कि गाय एक पवित्र जानवर है परंतु जो लोग दुसरो को मार (लिंचिंग) रहे है वे हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे है।कानून को बिना किसी पक्षपात के उनके खिलाफ अपना काम करना चाहिए।इसके अलावा उन्होंने कहा कि यदि कोई हिन्दू कहता है कि यहां मुसलमान नही रहना चाहिए तो वह हिन्दू ही नही है।

राजनीति कभी लोगो को एकजुट नही कर सकती

मोहन भागवत ने अपने भाषण में कहा कि हम वोट की राजनीति में नही पड़ते है।राष्ट्र में क्या होना चाहिए इस पर हमारे कुछ विचार है एवम वो ठीक हो जाये उसके लिए अब हम एक ताकत बने है उसके लिए ताकत हम चुनाव में लगाते है।हम राष्ट्रहित के पक्षधर है।आगे उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे काम है जो राजनीति नही कर सकती है।राजनीति कभी भी लोगो को जोड़ने का काम नही कर सकती है।उन्होंने कहा कि राजनीति लोगो को जोड़ने का नही अपितु तोड़ने का हथियार बन सकती है।

संघ इमेज की परवाह नही करता

आरएसएस प्रमुख ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि इस प्रकार की पुस्तक का विमोचन पहले किसी संघ प्रमुख की तरफ से नही हुआ।संघ क्या है यह लोगो को 90 वर्षो से पता है।संघ इमेज की परवाह नही करता है।हमको रूप बदलकर लोगो के बीच जाने की जरूरत नही है।दुनिया जो चाहे वो समझे हम अपना काम कर रहे है।हम जो भी करेंगे उससे सभी का भला होगा।इस कार्यक्रम में सम्मिलित होना इमेज बदलने का प्रयास नही है और न ही अगले चुनाव में मुस्लिमो के वोट पाने का यह कोई प्रयास है।

भारत मे नही है इस्लाम खतरे में

आरएसएस प्रमुख ने अपने भाषण में हिन्दू मुस्लिम को एक ही बताते हुए कहा कि हमारी श्रद्धा आकार व निराकार दोनो में समान है।हम मातृभूमि से प्रेम करते है क्योंकि यह यहां रहने वाले हर व्यक्ति को पालती आई है और पाल रही है।जनसंख्या के लिहाज से भविष्य में खतरा है,उसे हमे ही ठीक करना चाहिए।कुछ लोग अल्पसंख्यक कहते है जबकि हम सब एक है इसलिए ही इसे कथित अल्पसंख्यक कहता हूं।हम हिन्दू कहते है और आप भारतीय कहते हो।हमे शब्दो की लड़ाई में नही पड़ना है।मुस्लिमों के मन मे यह डर बिठाया गया है कि हिन्दू उन्हें खा जाएंगे लेकिन जब भी किसी अल्पसंख्यक पर किसी हिन्दू द्वारा अत्याचार होता है तो उसके खिलाफ आवाज भी हिन्दू ही उठाते है।आग लगाने वाला भाषण देकर प्रसिद्ध तो हुआ जा सकता है,लेकिन इससे काम नही चल सकता।

मोहन भागवत के इस बयान के बाद कांग्रेस,एआईएमआईएम के ओवैसी सहित एनसीपी की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। 

कांग्रेस के नेता व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मोहन भागवत जी हिन्दू मुस्लिम एकता का यह विचार क्या आप अपने शिष्यों,प्रचारकों,विश्व हिंदू परिषद/बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को भी देंगे?

क्या यह शिक्षा आप मोदी,शाह और भाजपा के मुख्यमंत्रियों को भी देंगे?

ओवैसी बोले-मारने के लिए मुस्लिम नाम होना ही काफी

एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने भी भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लिंचिंग करने वाले लोगो को गाय और भैंस में फर्क पता नही होगा लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक,पहलू,रकबर,अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे।ये नफरत हिंदुत्व की देन है।इन मुजरिमो को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।

ओवैसी ने कहा कि, कायरता,हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्ववादी सोच का अटूट हिस्सा है।मुसलमानों की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।

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