असम में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा ने विजय प्राप्त की है और अब संपन्न हुई विधायक दल की मीटिंग में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हेमंतविश्व शर्मा को अपना नेता चुन लिया गया है मतलब वे असम के 9वे मुख्यमंत्री होंगे।
2001 में अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत करने वाले शर्मा लगातार 2011 में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़ते एवम जीतते आ रहे थे परंतु 2014 में हुए एक रोचक घटनाक्रम के बाद उन्होंने वर्ष 2015 भाजपा का दामन थाम लिया था एवम 2016 में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवम स्वम् भी लगातार चौथी बार विजयी होते हुए भाजपा सरकार में मंत्री बने।
हेमंत विश्व शर्मा ने क्यों छोड़ दी थी कांग्रेस
हेमंत विश्व शर्मा के कांग्रेस छोड़ने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।दरअसल उनके राजनैतिक गुरु माने जाने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता तरुण गोगोई के साथ राजनैतिक मतभेद हो गए थे और इसी वजह से उन्होंने 21 जुलाई 2014 को कांग्रेस पार्टी के सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया परन्तु उनके नाराज होने के बाद भी उनकी कोई खैर खबर नही ली गई।उन्होंने काँग्रेस के आलाकमान से मिलने का कई बार समय मांगा परंतु उन्हें समय ही नही दिया गया।अपनी उपेक्षा एवम कांग्रेस के असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने काँग्रेस पार्टी को छोड़ने का ही निश्चय किया।
एक बार राहुल गांधी से हुई मुलाकात के बारे में बताते हुए डॉ शर्मा ने बताया था कि राहुल गांधी से वे असम के हालात को लेकर चर्चा के लिए गए थे परन्तु बड़ा इंतजार करने के बाद जब राहुल गांधी बाहर आये तो उनके साथ उनका कुत्ता पिद्दी भी था।जब डॉ शर्मा राहुल गांधी से चर्चा कर रहे थे तो गांधी का ध्यान हेमंत शर्मा से ज्यादा अपने कुत्ते पर था और उन्होंने डॉ शर्मा की बातों पर ध्यान ही नही दिया।यहां तक भी कहा जाता है कि जिस प्लेट में डॉ शर्मा को बिस्किट दिए गए थे उन्ही बिस्किटों को पिद्दी को भी खिलाया जा रहा था।
अपने भाजपा जॉइन करने की बात को बताते हुए डॉ शर्मा बताते है कि जब उन्होंने अमित शाह से मिलने के लिए समय मांगा था तो उन्होंने पहले ही फोन पर मिलने के लिए समय भी दिया और उनकी तुरंत ही मुलाकात हो गई। अमित शाह से मुलाकात के बाद 23 अगस्त 2015 को उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली हेमंत बिस्वा शर्मा का जन्म असम के जोराहाट में 1 फरबरी 1969 को हुआ था।इनके पिता का नाम स्व. कैलाश नाथ शर्मा व माता का नाम मृणालिनी देवी है।
हेमंत बिस्वा शर्मा की पत्नी का नाम रिनिकी भुयान है एवम उनके दो बच्चे है।
इन्होंने अपनी ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन क्रमशः 1990 व 1992 में कॉटन कॉलेज,गुवाहाटी से सम्पूर्ण किया था व इसी दौरान वे छात्र राजनीति से जुड़े और 1991-92 में कॉटन कॉलेज,गुवाहाटी के जनरल सेक्रेटरी रहे।सरकारी लॉ कॉलेज से एल एल बी व गुवाहाटी कॉलेज से पी एच डी की डिग्री लेने के बाद वर्ष 1996 से 2001 तक वे गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस करते रहे।पोलिटिकल कैरियर-
सर्वप्रथम वर्ष 2001 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकिट पर जलकुबारी से असम गण परिषद के भृगु कुमार के खिलाफ मैदान में उतरे व प्रथम बार असम विधानसभा के लिए चुने गए। दूसरी बार भी वर्ष 2006 में जलकुबारी से ही मैदान में उतरे व पुनः चुने गए। तीसरी बार 2011 में वे पुनः जलकुबारी से लड़े व 75000 से अधिक मतों से विजयी हुए। पार्टी नेतृत्व व पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के चलते वर्ष 2014 में उनके द्वारा कांग्रेस पार्टी के सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया गया।2015 में वे भाजपा में शामिल हो गए व 2016 के विधानसभा चुनावों में विशेष भूमिका अदा की। लगातार चौथी बार जलकुबारी विधानसभा क्षेत्र से ही डॉ शर्मा ने वर्ष 2016 में भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा व चुनाव जीता।इसी वर्ष वे भाजपा सरकार में 24 मई 2016 को कैबिनेट मंत्री बने।उन्हें वित्त,स्वास्थ्य व परिवार कल्याण,शिक्षा,योजना और विकास,पर्यटन,पेंशन और लोक शिकायत जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए।
अब हाल में अप्रैल 2021 में सम्पन्न हुए चुनावो में डॉ शर्मा ने लगातार पांचवी बार जलकुबारी से ही 101911 वोटो से बंपर जीत हासिल की है।
असम के लोकप्रिय व कद्दावर नेता
डॉ हेमंत बिस्वा शर्मा ने भाजपा जॉइन करने के बाद से ही असम सहित पूर्वोत्त्तर राज्यो में पैठ बनाना शुरू कर दिया था और असम राज्य में अपने काम करने के स्टाइल व तेज तर्रार छबि के दम पर जल्दी ही जनता के बीच लोकप्रिय हो गए है।2016 व हाल के विधानसभा चुनावों के अलावा 2019 के लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने बड़ी भूमिका अदा की थी जब 2019 मे भाजपा ने 14 में से 9 सीटें जीती थी।अपने काम करने के आक्रामक तरीके ने उनकी क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है साथ ही अब उन्हें पूर्वोत्त्तर का चाणक्य कहा जाने लगा है।कोरोना काल,सी ए ए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान भी डॉ शर्मा ही है जिन्होंने स्थितियों पर नियंत्रण प्राप्त कर पाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।अपने विवादित बयानों की लेकर भी बने रहते है चर्चा में
असम सरकार में मंत्री रहे एवम नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ने अभी कुछ दिन पहले ही मुसलमानो को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा था कि बीजेपी को मियां मुस्लिम के वोट नही चाहिए,वे साम्प्रदायिक होते है।मुसलमान समुदाय के लोग असम की संस्कृति एवं भाषा को खराब कर रहे है.मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि मेरा अनुभव है कि मिया मुस्लिम भाजपा को वोट नही करते है और हमे उनके वोट चाहिए भी नही जो असम की भाषा एवम संस्कृति को खराब करते है।उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग असम को बर्बाद करने पर तुले है।
असम में मुस्लिम समुदाय की आबादी 2011 के आंकड़ों के हिसाब से लगभग 40% मानी जाती है और यदि जनसांख्यिक आंकड़ों का आंकलन करे तो इसमें बड़ी संख्या अवैध रूप से बसे बंगलादेशी नागरिकों की है।