सीबीआई के नए डायरेक्टर की कमान आईपीएस सुबोध कुमार जायसवाल को सौंपी गई है।उनका कार्यकाल 2 साल के लिए होगा।सुबोध 1985 बैच के आईपीएस ऑफिसर है।केंद्र सरकार द्वारा उन्हें सीबीआई निदेशक बनाये जाने की अधिसूचना मंगलवार 25 मई 2021 को रात को जारी कर दी गई। फरबरी महीने में आर के शुक्ला के रिटायर होने के बाद से ही देश की सबसे प्रमुख जांच एजेंसी के प्रमुख का पद खाली चल रहा था।अभी तक प्रवीण सिन्हा अस्थायी तौर पर निदेशक के पद पर कार्य कर रहे थे।
तीन नाम थे पैनल में,वरिष्ठता के आधार पर हुआ चयन
सीबीआई निदेशक के पिछले फरबरी से खाली चल रहे पद के लिए तीन नामो का पैनल तैयार हुआ था।अन्य दो नाम गृहमंत्रालय में विशेष सचिव वीएसके कौमुदी व एसएसबी के महानिदेशक के आर चंद्रा थे। सुबोध कुमार जायसवाल का चयन वरिष्ठता के आधार पर हुआ है क्योंकि सीबीआई के नए प्रमुख की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में दिए गए नियम के अनुसार दो अन्य प्रमुख नाम बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना व एनआईए के अधिकारी वाईसी मोदी बिना विचार करने के पहले ही दौड़ से बाहर हो गए थे।
राकेश अस्थाना व वाईसी मोदी दोनो गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर है और केंद्र सरकार के पसंदीदा अधिकारियों में गिने जा रहे थे। दअरसल सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिये सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति की बैठक हुई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एम वी रमना ने छह महीने से कम कार्यकाल वाले अधिकारियों को डीजी स्तर पर नियुक्त नही करने के नियम का हवाला दिया था।
IPS Subodh Kumar Jaiswal has been appointed as Director of Central Bureau of Investigation (CBI) for a period of 2 years pic.twitter.com/jFGwZbOen4
— ANI (@ANI) May 25, 2021
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने क्यों जताई आपत्ति
कांग्रेस के नेता व सीबीआई निदेशक की नियुक्ति पैनल में शामिल अधीर रंजन चौधरी ने इन नामो पर तो कोई ऐतराज नही जताया परन्तु नियुक्ति प्रक्रिया व पैनल को लेकर डीओपीटी के रवैये की आलोचना करते हुए आपत्ति दर्ज कराई।
चौधरी ने कहा कि सीबीआई निदेशक के अहम पद की नियुक्ति में डीओपीटी की गंभीरता को लेकर उन्हें आपत्ति है।उन्होंने एतराज जताते हुए कहा कि पैनल में पहले 109 नाम भेजे गए थे।इसके बाद सोमवार को बैठक से पहले दिन में एक बजे 10 नाम भेजे गए।शाम चार बजे 6 नामो को शॉर्टलिस्ट किया गया।यह डीओपीटी के गैर जिम्मेदाराना व गैर पेशेवर रुख को जाहिर करता है।
जानिए क्यों चर्चित रहे है सुबोध कुमार
22 सितंबर 1962 को जन्मे सुबोध कुमार 1985 बैच के आईपीएस है।महाराष्ट्र कैडर में होने के कारण उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर व महाराष्ट्र के डीजीपी जैसी अहम जिम्मेदारियां भी निभाई है।उन्होंने नौ साल तक रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में अपनी सेवाएं दी है।रॉ में रहते हुए ही उन्होंने तीन साल तक अतिरिक्त सचिव की जिम्मेदारी भी निभाई।इसके अलावा उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो व एसपीजी में भी काम किया है।सुबोध जायसवाल तेलगी घोटालों के बाद चर्चा में आये थे उस समय वह स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स का नेतृत्व कर रहे थे।महाराष्ट्र ए टी एस में काम करते हुए उन्होंने कई आतंकवाद विरोधी अभियानों में अपनी भूमिका निभाई है।वर्ष 2009 में उनकी विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था।