14 मई इजरायल के इतिहास में क्यों महत्वपूर्ण है।

14 मई इजरायल के इतिहास में क्यों महत्वपूर्ण है।

आज दुनिया के सबसे सम्पन्न देशों में शामिल इजरायल की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है।14 मई 1948 को इजरायल आजाद हुआ था,हालांकि इसके लिए यहूदियों ने एक लंबी लड़ाई लड़ी थी।आजाद होने के बाद इजरायल का सफर बड़ा मुश्किल रहा था,क्योंकि अरब देशों की एक संयुक्त सेना ने इजरायल पर आक्रमण कर दिया था।उन्होंने इसका भी मुकाबला किया और आज दुनिया को दिखा दिया कि किस तरह देश को सम्पन्न एवम मजबूत बनाया जाता है।

हिब्रू कैलेंडर के हिसाब से मनाता है अपना स्वतंत्रता दिवस

इजरायल आधिकारिक तौर पर अपना स्वतंत्रता दिवस हिब्रू कैलेंडर के हिसाब से इयार महीने के पांचवे दिन मनाता है जो कि इस वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जा चुका है लेकिन ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार 14 मई को ही इजरायल के स्वतंत्रता दिवस है। इजरायल की स्थापना के साथ ही यहूदियों की 2000 साल के लंबे संघर्ष के बाद अपनी मातृभूमि में पुनः वापसी हुई।

ब्रिटिश राज से मुक्ति

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद फिलिस्तीन पर कब्जा जमाए बैठे ब्रिटेन के लिए फिलिस्तीन एवम यहूदियों के बीच बढ़ रहे संघर्ष को सम्हाल पाना मुश्किल हो रहा था ऐसे में उन्होंने इस मामले को यू एन में ले जाने का निर्णय किया जहां द्विराष्ट्र सिद्धांत के तहत फैसला हुआ और 29 नवंबर 1947 को इस भूभाग को यहूदी और अरब देशों में बांट दिया एवम यरूशलेम को अंतराष्ट्रीय शहर घोषित कर दिया गया। 14 मई 1948 को अंग्रेजो ने फिलिस्तीन छोड़ दिया परन्तु विवाद समाप्त नही हुआ।
वर्षो से अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष कर रहे यहूदियों ने इस फैसले को मंजूरी दे दी परन्तु अरब देश इसके लिए तैयार नही हुए।1948 में अंग्रेज फिलिस्तीन को छोड़ कर चले गए और अंग्रेजो की विदाई से पहले ही यहूदियों ने 14 मई 1948 को इजरायल की आजादी की घोषणा कर दी।
एक नए मुल्क का उदय हुआ परन्तु उसका पहला कदम ही युद्ध की तरफ बढ़ गया।

आजादी के अगले दिन ही कर दिया था अरब सेनाओं ने हमला

एक ऐसी जगह जिसे अपनी मातृभूमि कहा जा सके और ऐसा उनका धार्मिक इतिहास भी है कि आज जहां येरुशलम है वह यहूदियों की जन्मस्थली है परंतु अपनी मातृभूमि के लिए लंबे समय के संघर्ष के बाद इजरायल की स्थापना के अगले ही दिन 15 मई 1948 को अरब देशों की संयुक्त सेना जिसमे सीरिया,ट्रांस जॉर्डन,इराक ने इजरायल पर हमला कर दिया।
हमले के बाद अरब देशों की सेना ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिन्हित किये गए फिलिस्तीन के इलाके को अपने कब्जे में ले लिया और इजरायल के कब्जे वाले इलाकों और यहूदी बस्तियों पर हमला कर दिया।समय के साथ इजरायल के विरोधियों की संख्या में भी इजाफा होता रहा।सऊदी अरब ने भी मिस्र की सहायता से इजरायल पर हमला कर दिया।लगभग 1 साल तक चले इस युद्ध मे इजरायल के महिला पुरुषों ने अपनी हार नही मानी और अंततः अरब देशों को धूल चटा दी।
अरब देशों को धूल चटा दी थी 

9 महीने 23 दिन तक चले इस युद्ध मे जहाँ इजरायल अकेला था वही दूसरी तरफ मिस्र,ट्रांसजोर्डन,इराक,सीरिया,लेबनान,सऊदी अरब,उत्तरी यमन की सेनाएं थी। इजरायल के पास शुरुआत में सिर्फ 30 हजार लड़ाके थे जिनकी संख्या युद्ध समाप्ति तक तकरीबन 1 लाख 17 हजार तक हो गई थी।इस युद्ध मे लगभग 6400 लोगो की जान गई थी जिसमे 4 हजार सैनिक व 2400 आमलोग थे।

युद्ध के दौरान ही यहूदियों के कई सैन्य गुटों हगनह,पालमैक,हिश,हिम,इरगुन और लेकी के के 26 मई 1948 को हुए विलय से इजरायल डिफेंस फोर्सेस का गठन हुआ।

Israeli arab conflict

1967 में फिर हुआ था युद्ध जब 6 दिन में चटाई इजरायल ने धूल

पहले इजरायल अरब युद्ध मे मिली जीत के बाद इजरायल की सेना ने फिर कभी पीछे मुड़कर नही देखा।दूसरी बार 1967 में जब अरब देशों ने इजरायल के खिलाफ पुनः युद्ध छेड़ा तो महज 6 दिन में इजरायल ने सभी अरब देशों को धूल चटा दी थी।इस युद्ध की 6 दिन का युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।इस युद्ध के बाद इजरायल ने येरुशलम पर कब्जा कर लिया और इसे अपनी राजधानी घोषित कर दिया।
वही विवाद आजतक जारी है और वर्तमान में चल रहे इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष की शुरुआत भी पूर्वी येरुशलम से ही हुई है।

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