कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा जयपुर में जनाजे में उमड़ी भीड़,भाजपा विधायक ने लगाया सरकार पर तुष्टिकरण के आरोप

कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा जनाजे में उमड़ी भीड़,

राजस्थान की राजधानी जयपुर में सोमवार की शाम कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा हजारो लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी।चारदीवारी के अंदर का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे हजारो लोगो की भीड़ दिखाई पड़ रही है।
राज्य में चल रहे कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अभी सामूहिक रूप से भीड़ इकट्ठी करने पर पाबंदी लगी हुई है।इस भीड़ में कई पुलिस वाले भी दिख रहे है जो भीड़ के साथ साथ चल रहे है।

जानिए पूरा मामला

दरअसल राजधानी जयपुर में सोमवार को “हाजी रफत वाहिद”संस्था के प्रमुख का देहांत हो गया था।उनके जनाजे में ये हजारो लोगो की भीड़ इकट्ठी हो गई थी।
क्षेत्रीय विधायक रफीक खान भी इस भीड़ में शामिल थे जो कि स्वम् भी सत्ताधीन पार्टी कांग्रेस के सदस्य है।
कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाती इस भीड़ में बच्चे,वृद्ध सभी नजर आ रहे है और पुलिस उनके साथ सुरक्षा घेरा बना कर चलती हुई नजर आ रही है।

भाजपा ने उठाये सवाल

थोड़ी ही देर में ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो लोग सरकार से सवाल पूछने लगे और विपक्ष ने भी गहलोत सरकार पर निशाना साधा।
भाजपा के सांगानेर विधानसभा से विधायक अशोक लाहोटी ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि, “पिछले एक महीने से राजस्थान में लोकडाउन व कर्फ्यू चल रहा है।आम व्यक्ति को अंतिम संस्कार के लिए मात्र 20 लोगो के साथ जाने की छूट है वही आज रामगंज में हाजी रफत वाहिद मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष के देहांत पर हजारो लोग कांग्रेस विधायक की मौजूदगी में,पुलिस के जाब्ते में कई किलोमीटर तक पैदल चल कर इस लोकडाउन की धज्जियां उड़ाई है।राजस्थान में बार बार कांग्रेस की सरकार का,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी की तुष्टिकरण की राजनीति बार बार सामने आ रही है।


एक तरफ आप मंदिरों की घंटियां बंद करवा रहे है,आप कह रहे है लोकडाउन के नियम टूट रहे है,एक तरफ आप धौलपुर में 20 लोगो के इकट्ठे होने पर उन्हें गिरफ्तार कर रहे है,एक तरफ रामगंज में हजारो हजार लोग पैदल चल रहे है,आपके मंत्री के पिताजी के जनाजे में हजारो लोग इकट्ठे होते है तब कोरोना नही फैलता है,तब यहां पर कोई लोकडाउन के नियम नही टूटते है।आप वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की राजनीति जो कर रहे है इसको राजस्थान की जनता पहचान चुकी है और समय आने पर आपको उसका माकूल जवाब दिया जाएगा।

 

तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप

भाजपा के विधायक ने तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप गहलोत सरकार पर लगाये है।अभी कुछ दिन पहले ही 24 मई को विधायक अशोक लाहौटी ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके विधानसभा क्षेत्र में भांकरोटा व सांगानेर में स्थित प्राचीन मंदिरों में लगे हुए लाउडस्पीकर प्रशासन द्वारा उतरवा दिए गए वही अन्य धर्मस्थलों पर लगे लाउडस्पीकर दिन में 5 बार बजते ह परंतु उन पर कोई कार्यवाही नही होती है और न ही उन्हें उतरवाया गया।

तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप
राजस्थान सरकार के दोहरे रवैये को उजागर करती दैनिक भास्कर की खबर

उससे पहले धौलपुर में भाजपा विधायक द्वारा आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में लगभग 500 लोगो के इकट्ठे होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिला कलेक्टर को फटकार लगाई थी और इकट्ठे होने वाले कुछ लोगो को गिरफ्तार किया गया था और उसी दिन गहलोत सरकार में ही मंत्री व पोकरण विधायक सालेह मोहम्मद के पिताजी गाजी फकीर के जनाजे में हजारो लोग इकट्ठे होते है परन्तु सरकार व प्रशासन चुप्पी साधे रहते है।जबकि वे घटना से 4 दिन पहले ही कोरोना पॉजिटिव पाए जाते है।

राजस्थान में बढ़ रही है साम्प्रदायिक घटनाएं

राजस्थान के यदि पिछले 2 से 3 महीने की घटनाओं को देखे तो कई साम्प्रदायिक घटनाएं हुई है।
बारां जिले के छबड़ा में 11 अप्रैल को सांप्रदायिक विवाद हो गया था जब बाइक टकराने के मामूली विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया और समुदाय विशेष द्वारा शहर में खूब आगजनी व लूटपाट की गई तथा सैकड़ो दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। 

झुंझुनु शहर स्थित खटीकों के मोहल्ले में देर रात तक अपने घर के बाहर बैठकर हल्ला मचा रहे युवकों को टोकना भारी पड़ गया जब समुदाय विशेष के इन युवकों ने अन्य लोगो को बुला कर लाठी व पत्थरो से अनुसूचित जाति में आने वाले खटीकों के परिवार पर हमला कर दिया।इस पत्थरवाजी व भिड़ंत में कई लोग घायल हुए थे।

सवाई माधोपुर जिले में स्थित गंगापुर सिटी के पास बड़ी उदेई गांव में बालिका को छेड़ने से टोकने पर लगभग 400 -500 लोगो की भीड़ ने अनुसूचित जनजाति के मीना परिवारों के मोहल्ले पर हमला कर दिया और जमकर पत्थरवाजी की।
ऐसी ही कई अन्य छुटपुट घटनाएं ओर भी हुई है।

 

सरकार का दोहरा रवैया

एक तरफ सरकार कानून व नियम बना कर जनता पर लागू करवाती है और यदि कोई आम आदमी परिस्थितिवश भी कानून का पालन न कर पाए तो पुलिस का डंडा व चालान की कॉपी उस आम आदमी की कमर को तोड़ देती है लेकिन वही क़ानून का डंडा व चालान संरक्षणप्राप्त विशेष लोगो व सरकार के नुमाइंदों पर लागू नही होता है।
ये दोहरा रवैया आखिर राज्य की जनता के साथ क्यों अपनाया जा रहा है?

सवाल उठे तो दर्ज की एफआईआर

वीडियो के वायरल होने के बाद जब सरकार पर सवाल उठने लगे व पुलिस के दोहरे रवैये की आलोचना होने लगी तो पुलिस द्वारा 10-12 लोगो पर केस दर्ज कर खाना पूर्ति करने की कोशिश की गई।
पुलिस द्वारा ट्वीट कर जानकारी दी गई कि पेंडेमिक एक्ट के तहत 10 से 12 लोगो पर केस दर्ज कर लिया गया गया है वही कांग्रेस विधायक रफीक खान जो कि स्वम् भी उस जनाजे में शामिल होकर नेतृत्व कर रहे थे ने पुलिस पर ही आरोप लगाया है कि पुलिस ने भीड़ इकट्ठी होने की जानकारी होने के वावजूद रोकने के प्रयास नही किय।

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