बिहार राज्य कभी भारत के अभ्युदय एवम गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाता था परंतु आजादी के बाद राजनीति के छद्म आवरण में बिहार में ही अपराध एवम अमानवीयता का ऐसा काल भी देखा जब एक सामान्य आदमी के जीवन का कोई मूल्य नही रह गया समाजवाद के कंधे पर सवार होकर बिहार में लालू यादव जैसे नेता अपने राजनैतिक जीवन के उच्च शिखर तक तो पहुचते है परंतु वही जन्म होता है एक ऐसी व्यवस्था का जिसे जंगलराज कहा जाता रहा है और बिहार दशकों तक उस व्यवस्था को भुगतता रहा।
बिहार के उत्थान के लिए अभी बहुत परिवर्तन होना आवश्यक है परन्तु ये कहानी है ऐसे ही एक अपराधी की जिसने न जाने कितने परिवारों का जीवन नर्क से भी बदतर बना दिया परन्तु स्वम् सत्ता के संरक्षण में सत्ता का ही अंग बना बैठा रहा। शहाबुद्दीन की मौत के साथ ही उस अध्याय का अंत हो गया जो 80 के दशक से लिखा जाना शुरू हुआ था। वैसे पुलिस की फाइल में शहाबुद्दीन के खिलाफ जितने केस हैं उनकी गिनती की जा सकती है लेकिन सच में देखें तो इसके अपराधों की फेहरिस्त इतनी लंबी है जिसके आगे गिनती भी घुटने टेक दे।
कौन है शहाबुद्दीन?
मोहम्मद शहाबुद्दीन सीवान से दो बार विधायक व चार बार सांसद रहे।राजनैतिक शास्त्र से एम ए व पी एच डी की पढ़ाई करने वाले शहाबुद्दीन ने अपने कॉलेज के दिनों में ही अपराध की दुनिया मे कदम रख दिया था। वो अस्सी का दशक था जब शहाबुद्दीन का नाम पहली बार एक आपराधिक मामले में सामने आया।1986 में पहली बार उस पर पहला मुकदमा दर्ज हुआ और देखते ही देखते कई आपराधिक मामलों में उसका नाम जुड़ता ही चला गया।
लालू का करीबी था शहाबुद्दीन।
1990 में लालू की लीडरशिप में जनता दल के युवा मोर्चा में शहाबुद्दीन की एंट्री हुई।मुस्लिम वोटों पर प्रभाव के कारण फिर तो शहाबुद्दीन लालू यादव का सबसे करीबी बन गया और धीरे धीरे यही गठजोड़ मुस्लिम यादव गठजोड़ बन गया।यही कारण था कि सीवान जिले की जीरादेई विधानसभा से वह पहली बार सबसे कम उम्र का विधायक बना।जनता दल के टिकिट पर ही 1995 में उसने फिर जीत हासिल की।1996 में वह पहली बार सीवान से सांसद चुना गया।
राजद (RJD) के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कोरोना संक्रमण के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। लेकिन एक वक्त वो भी था जब शहाबुद्दीन इंसानों की जान को जान नहीं समझता था। कहा जाता है कि शहाबुद्दीन की ओर तिरछी नजर करना भी मौत को बुलावा देना माना जाता था। उस वक्त बिहार में आरजेडी की सरकार थी और शहाबुद्दीन आरजेडी के बाहुबली नेता। इन सब बातों को देखते हुए पुलिस वाले शहाबुद्दीन की गिरेबां पर हाथ डालने से बच रहे थे।
चंदा बाबू के दो बेटों को तेजाब से नहलाकर मारा था शहाबुद्दीन ने साल 2004 में चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का बदमाशों ने अपहरण कर लिया। बदमाशों ने गिरीश और सतीश को तेजाब से नहला कर मार दिया था। जबकि इस मामले का चश्मदीद रहे राजीव किसी तरह बदमाशों की गिरफ्त से अपनी जान बचाकर भाग निकला। बाद में राजीव भाइयों के तेजाब से हुई हत्याकांड का गवाह बना। मगर 2015 में शहर के डीएवी मोड़ पर उसकी भी गोली मार कर हत्या कर दी गई। हत्या के महज 18 दिन पहले ही राजीव की शादी हुई थी। इस घटना के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया था।
सिवान के डीएम और एसपी ने ठाना, खत्म करेंगे शहाबुद्दीन का खौफ
तेजाब कांड की वारदात के बाद सिवान के तत्कालीन डीएम सीके अनिल और एसपी एस रत्न संजय कटियार ने ठान लिया कि वह शहाबुद्दीन के खौफ को खत्म कर देंगे। दोनों अफसरों ने मिलकर पूरी प्लानिंग की और भारी पुलिस बल के साथ शहाबुद्दीन के प्रतापपुर वाले घर की घेराबंदी कर दी। शहाबुद्दीन के समर्थक भी पहले से ही तैयार बैठे थे। उन्होंने पुलिस बल पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि पुलिस बल भी पूरी तैयारी के साथ गई थी और जबरदस्त तरीके से पलटवार किया।
शहाबुद्दीन के घर से मिले थे पाकिस्तानी हथियार
पुलिस का दावा है कि गोलीबारी थमने के बाद पुलिस जब शहाबुद्दीन के प्रतापपुर वाले घर के अंदर दाखिल हुई तो उसके होश उड़ गए। शहाबुद्दीन के घर में भारी मात्रा में पाकिस्तानी हथियार बरामद हुए थे। घर से पाकिस्तानी आर्डिनेंस कंपनी की मुहर लगी एके-47 राइफल भी बरामद हुई थी। कई ऐसे हथियार मिले जिसे केवल पाकिस्तानी सेना प्रयोग करती है। छापेमारी में इस बाहुबली नेता के घर से बहुमूल्य जेवरात और नकदी के अलावा जंगली जानवर जैसे शेर और हिरण की खाल भी बरामद हुई थी।
शहाबुद्दीन के गुर्गों ने 3 पुलिस वालों की कर दी थी हत्या
इससे पहले साल 2001 में भी बिहार पुलिस शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने उनके प्रतापपुर वाले आवास पर छापेमारी करने पहुंची थी। इस दौरान शहाबुद्दीन के गुर्गों और पुलिस के बीच करीब 3 घंटे फायरिंग चली थी। इस दौरान 3 पुलिसकर्मी मारे गए थे। 2001 में ही पुलिस जब आरजेडी के स्थानीय अध्यक्ष मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ एक वारंट लेकर पहुंची थी तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तारी करने आए पुलिस अधिकारी संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। शहाबुद्दीन के सहयोगियों ने पुलिस वालों की जमकर पिटाई कर दी थी। इसके बाद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा था।
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड
सीवान से चार बार आरजेडी सांसद रहे शहाबुद्दीन पर एक अग्रणी हिंदी दैनिक के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या में शामिल में होने का आरोप भी है। 13 मई 2016 की शाम बिहार के सीवान जिले में पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त राजदेव अपने दफ्तर के बाहर निकले थे। उनकी पत्नी ने घटना में शहाबुद्दीन के शामिल होने का आरोप लगाया था। इस सनसनीखेज वारदात के बाद सिवान समेत पूरे बिहार में खलबली मच गई थी। किरकिरी के बाद बिहार सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
चलाता था अपनी समानांतर सरकार
सहाबुद्दीन के खौफ का आलम ये था कि सीवान में बिना उसके पत्ता भी नही हिलता था।सीवान में उसकी समानांतर सत्ता चलती थी और वह अपना स्वम् का एक दरबार सजता था जिसमे वह लोगो के पारिवारिक से लेकर भूमि विवाद सब मामले सुलझाता था।
शहाबुद्दीन को कई मामलो में सजा का एलान हुआ था कई के ट्रायल चल रहे थे। चर्चित तेजाब हत्याकांड जिसमे दो भाइयो को तेजाब से नहला के मार दिया गया था में उम्रकैद, छोटेलाल अपहरण कांड में उम्रकैद,एसपी सिंहल पर गोलीकांड मामले में 10 वर्ष की सजा,आर्म्स एक्ट मामले में 10 वर्ष की सजा व कुछ अन्य मामले थे जिसमें सजा का एलान हो चुका था।
इसी सजा में वह तिहाड़ में कैद था जहाँ उसकी तबियत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया एवम कोरोना संक्रमित होना पाया गया और 1 मई 2021 को उसकी मृत्यु हो गई।