असम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत दास ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर असम के प्रदेश,जिला,मंडल व बूथ स्तर के अल्पसंख्यक मोर्चा को भंग कर दिया है और भंग करने का स्पष्ट कारण बताया है कि “असम के मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर अगर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के बीस कार्यकर्ता है तो भी वहां भाजपा को एक भी वोट नही मिला।”
दअरसल असम में हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर अल्पसंख्यक मोर्चा को जिम्मेदारी दी गई थी तथा बहुत सारे बूथों पर अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी एवम कार्यकर्ता भी वोटर थे परन्तु अब परिणाम सामने आने पर पता लगा है कि वहाँ भाजपा को वोट ही नही पड़े।
कई बूथ ऐसे है जहाँ शून्य मत मिले है जबकि यहाँ 20 20 अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य बूथ एजेंट थे और कार्यकर्ता भी थे। पूर्वोत्त्तर के राज्य असम में मुस्लिम जनसंख्या तकरीबन 34% है।असम में कुल 34 जिले है जिनमे से 9 जिले धुबरी,बरपेटा,ग्वालपाड़ा,दर्राग,करीमगंज,हल्लाकांडी,मोरीगांव,नगांव व बोगाईगांव में मुस्लिम बहुसंख्यक है।
अब तक मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिलता रहा था परन्तु वर्ष 2005 में मौलाना बदरुद्दीन अजमल द्वारा स्थापित ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ खींच लिया जिससे कांग्रेस यहां कमजोर हो गई है।हालांकि इस बार यहां काँग्रेस एवम एआईयूडीएफ का गठबंधन हुआ था और कांग्रेस एवम एआईयूडीएफ ने क्रमशः 29 व 16 सीटें जीती है जिसमे मुस्लिम बहुसंख्यक सीटों पर एआईयूडीएफ ने अपना दबदबा कायम कर लिया है। एआईयूडीएफ के ही रफीकुल इस्लाम ने जनिया क्षेत्र में सबसे अधिक 1,44,775 के अंतर से जीत हासिल की है