कोरोना महामारी के दौर में क्यो दे दिया 3000 डॉक्टर्स ने इस्तीफा

कोरोना महामारी के दौर के क्यो दे दिया 3000 डॉक्टर्स ने इस्तीफा
वजीफा बढ़ाने व अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे मध्यप्रदेश के 3000 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है।

मध्यप्रदेश में वजीफा बढ़ाने व कोरोना संक्रमण की स्थिति में खुद का व परिवार का इलाज मुफ्त किये जाने जैसी मांगो को लेकर हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों ने हाईकोर्ट द्वारा ड्यूटी पर लौटने के आदेश दिए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया।

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हड़ताल को अवैध बताते हुए डॉक्टर्स को 24 घंटे के अंदर ड्यूटी पर लौटने के आदेश दिए थे परंतु डॉक्टर्स ने कहा है कि वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे।हड़ताल जारी रखते हुए उन्होंने कोर्ट के आदेश को नही मानते हुए लगभग 3000 डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है।

क्यो शुरू की हड़ताल

मध्यप्रदेश में डॉक्टरों ने सोमवार को अपनी हड़ताल शुरू कर दी थी एवम सरकार पर वजीफा बढ़ाने व उनका व उनके परिवारजनों का कोरोना से प्रभावित होने की स्थिति में फ्री इलाज हो के लिए दवाब बनाया जा सके।
डॉक्टर्स चाहते है कि कोरोना से प्रभावित होने की स्थिति में सरकार उन्हें फ्री इलाज मुहैया कराए साथ ही उनके परिवारजनों की जिम्मेदारी भी सरकार ही उठाये।

क्या कहा कोर्ट ने

अभी देश मे कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा है ऐसे में डॉक्टर्स का हड़ताल पर जाना एक असंवेदनशील निर्णय है।ये विषय कोर्ट में भी पहुँच गया एवम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार दोपहर तक सभी डॉक्टर्स को काम पर लौटने का आदेश दिया था।

मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक अहमद और न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल की खंडपीठ ने कोरोना महामारी के विकट दौर में हड़ताल पर जाने के लिए डॉक्टर्स की कड़ी आलोचना भी की।खण्डपीठ ने कहा कि यदि निर्धारित समयाविधि के भीतर डॉक्टर काम पर नही लौटते है तो सरकार को उन पर कार्यवाही करनी चाहिए।

मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद मीना का कहना है कि वे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। मीना का कहना है कि 6 मई को सरकार ने डॉक्टर्स की मांगों को पूरा करने एवम वजीफा 24 फीसदी बढ़ाने का वादा किया था परन्तु पूरा नही किया गया।जब तक सरकार सभी मांगो को नही मांग लेती है हड़ताल जारी रहेगी।

सरकार क्या कह रही है?

मध्यप्रदेश के चिकित्सा आयुक्त निशांत वारवाड़ ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार ने पहले ही डॉक्टरों के वजीफे में 17% बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर और वृद्धि भी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अभी महामारी के इस दौर में मरीजों का इलाज करना डॉक्टर्स का नैतिक दायित्व है व उनसे काम पर लौट जाने की उम्मीद की जाती है।

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